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2 मार्च 2012

माता पिता

माता पिता
वृक्ष वही जीवित रहता है , जुड़ा रहे जो जड़ से ।
मस्तक भी वह ही ऊंचा है,जुड़ा रहे जो धड़ से ।।
इसी लिए माँ बाप जरूरी, इसीलिए परिवार ।
वे हतभाग्य, जिन्हें मिलता नहीं,मात-पिता का प्यार।।
व्रक्ष भले, फलदार नहीं हों, पर देते हैं छाया ।
भाग्यवान वे जन होते, जिन पर आशीषों का साया ।।
कुत्ता भी खा कर के रोटी, करता है रखवाली ।
कुछ ना कुछ तो ध्वनि देती है, जब बजती है ताली ।।
फूल वही मुरझा जाते हैं, जहाँ ना होता माली।
फूलो फलो सदा मेरे बच्चो, काटो मत तुम डाली ।।

। डॉ. ओ.पी .व्यास ।

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद