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3 मार्च 2012

ब्राह्मण !

हिंदी कविता
[गीतिका]

-- ब्राह्मण ! --

था कभी यह विश्व वन्दित ब्राह्मण;

हो रहा क्यों आज निन्दित ब्राह्मण|

कंठ में थीं वास करतीं शारदा';

वेद शास्त्रों का था ,पंडित ब्राह्मण|

जिसकी प्रतिभा थी गयी, पूजी सदा;

आज वह प्रतिमा है, खंडित ब्राह्मण|
एक कर में शस्त्र, दूजे शास्त्र ले;

*परुष  ने था, किया मंडित ब्राह्मण| 

जब पुरस्कृत हो रहीं सब जातियां,

क्यों तिरस्कृत,और दण्डित ब्राह्मण|

डॉ. ओ.पी. व्यास
[*श्री भगवान परशुराम जी ] 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद