एक मार्मिक कविता ..बूढ़े बच्चों से करें बस केवल दो आस
..डॉ. ओ.पी.व्यास
( 457 ) बूढ़े बच्चों से करें ,बस केवल दो आस।
मीठे बोल दो प्रेम के, खाने को दो ग्रास।।
जब से पैदा हुए तुम बच्चे, हम रात रात रात भर जागे ।।
तुम को ना तक़लीफ़ हो कोई, हम कितने दौड़े भागे।।
जो भी कमाया, नहीं छिपाया, धर दिया सारा आगे।।
दर-दर भटके तुम्हें पालने, सब सुख सुविधा त्यागीं ।
माता पिता तो भटके ही ,और भटके ,दादा ,दादी।।
जब हुए तुम बीमार,तुम्हारी लाये दवाई पहले ।
एक दूजे को रहे यह कहते, थोड़े कष्ट को सह ले।।
निकल गया कब बचपन तेरा, मेरा बुढापा आया ।
पूँछ रहे हो अब तुम हम से ,तुमने क्या ?है कमाया ।।
तुमने तो अब इत्र लगाए ,हम मैं आ रही बास ।
शायद पहिले के युग में था ,इसीलिए संन्यास ।।
बूढ़े बच्चों से करें ,बस केवल दो आस ।
मीठे बोल दो प्रेम के, खाने को दो ग्रास ।।
..डॉ .ओ .पी. व्यास