पृष्ठ

14 जन॰ 2019

छोड़ दें सारे कपट और दम्भ को , अपना लीजे आज अमृत कुम्भ को -----

 छोड़ दें सारे कपट और दम्भ को ।
अपना लें हम आज अमृत कुम्भ को ।।
आ गया पच पन ,गया बच पन कहां ? 
याद कर लें अपने उस प्रारम्भ को । ।
 दुष्टता त्यागी ना अपनी आज भी| 
हिरणा कश्यप प्रकट होंगे,फोड़ देंगे खम्भ को । (447 ) 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद