धन्वन्तरि स्तुति- (संस्कृत से हिंदी काव्य भावानुवाद )...
( धन्वतरि स्तुति मूल रचना में) ...
आविर्बभूव कलशं दद्य दरण वाद्य,
पीयूष पूर्ण ममरत्व कृते सुराणाम |
रुग्जाल जीर्ण जनता ,जनितउ ,प्रशंसउ,
भगवान धन्वंतरि स भविकाय भूयात ||
रोग शोक से पीड़ित जन ने, स्तुति करी, एक स्वर में ।।
पूर्ण हुई अमृत, अभिलाषा , अमर तत्व , पाया सुर ने ।
ओष धार* औषधियाँ आ गईं, गाँव गाँव और घर घर में ।।
* [ओष अर्थात अमृत को धारण करे सो, औषधि ]
..डॉ ओ.पी. व्यास..
( धन्वतरि स्तुति मूल रचना में) ...
आविर्बभूव कलशं दद्य दरण वाद्य,
पीयूष पूर्ण ममरत्व कृते सुराणाम |
रुग्जाल जीर्ण जनता ,जनितउ ,प्रशंसउ,
भगवान धन्वंतरि स भविकाय भूयात ||
डॉ..ओ.पी .व्यास
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