[ 375 ]
श्लोक क्र....[ 63- 1 हिंदी में ]...
चिंतन से उनके लाभ क्या ,
जो वस्तु मिथ्या रूप हैं ।
चिंतन करो उस ब्रह्म का ,
जो परम ज्योति स्वरूप है ।।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
चिन्तन से उनके लाभ क्या ,
जो वस्तु मिथ्या रूप है |
चिन्तन करो उस ब्रह्म का ,
जो परम ज्योति स्वरूप है ||
जो ब्रह्म अजर, अमर ,अनन्त ,
अक्षर है ,परम अनूप है ।
यह भुवन भोग ,उस ब्रह्म का ही,
तो एक प्रति रूप है ।|
और अंत में यह सब , भुवन ,भोग ,
उस ब्रह्म में ही ,लीन हों ।
आश्रित सभी हैं, ब्रह्म के,
चाहे कृपण, आधीन हों ।।
श्लोक क्र 63
भर्तृहरि वैराग्य शतक\
काव्य भावनुवाद
डॉ ओ पी व्यास
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श्लोक क्र....[ 63- 1 हिंदी में ]...
चिंतन से उनके लाभ क्या ,
जो वस्तु मिथ्या रूप हैं ।
चिंतन करो उस ब्रह्म का ,
जो परम ज्योति स्वरूप है ।।
भर्तृहरि वैराग्य शतक
काव्य भावानुवाद
डॉ.ओ.पी.व्यास
चिन्तन से उनके लाभ क्या ,
जो वस्तु मिथ्या रूप है |
चिन्तन करो उस ब्रह्म का ,
जो परम ज्योति स्वरूप है ||
जो ब्रह्म अजर, अमर ,अनन्त ,
अक्षर है ,परम अनूप है ।
यह भुवन भोग ,उस ब्रह्म का ही,
तो एक प्रति रूप है ।|
और अंत में यह सब , भुवन ,भोग ,
उस ब्रह्म में ही ,लीन हों ।
आश्रित सभी हैं, ब्रह्म के,
चाहे कृपण, आधीन हों ।।
श्लोक क्र 63
भर्तृहरि वैराग्य शतक\
काव्य भावनुवाद
डॉ ओ पी व्यास
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