[ 307 ]
श्लोक क्र. [ 3 ]...
भर्तृहरि वैराग्य शतक
तृतीय भावानुवाद ...
डॉ.ओ.पी. व्यास
कोई रहा ना शेष संसार का चरित्र |
बन्धु बान्धव गये कोई रहा ना मित्र ||
बहुत पूण्य से मिले जिन्हें बहुत से भोग |
पाए थे जिन ने स्वर्ग कहां हैं वे सारे लोग ||
मिलीं स्वर्ग में जिन्हें थीं हूरें और अप्सरा |
हुआ आख़िरी में उनका फिर से जब तफसरा ||
जब पूण्य हुए क्षीण कहां हैं वे सब वन्दे ? \
वापिस जन्म मरण के फिर से वही फन्दे ||
डॉ.ओ.पी.व्यास 10 /9/1996
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श्लोक क्र. [ 3 ]...
भर्तृहरि वैराग्य शतक
तृतीय भावानुवाद ...
डॉ.ओ.पी. व्यास
कोई रहा ना शेष संसार का चरित्र |
बन्धु बान्धव गये कोई रहा ना मित्र ||
बहुत पूण्य से मिले जिन्हें बहुत से भोग |
पाए थे जिन ने स्वर्ग कहां हैं वे सारे लोग ||
मिलीं स्वर्ग में जिन्हें थीं हूरें और अप्सरा |
हुआ आख़िरी में उनका फिर से जब तफसरा ||
जब पूण्य हुए क्षीण कहां हैं वे सब वन्दे ? \
वापिस जन्म मरण के फिर से वही फन्दे ||
डॉ.ओ.पी.व्यास 10 /9/1996
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