[ 77 ]...........
सज्जन सागर तुल्य हैं ,
जो है बहुत महान |
बड़ी सहन सामर्थ्य है ,
बहुत बड़ा गुणगान ||
एक ओर सिंधु में सोते ,
स्वयं विष्णु भगवान |
और दूसरी ओर सो रहे ,
दैत्य बड़े बलवान ||
एक ओर गिरि गण सोते हैं ,
ख़ुद की बचाने जान |
प्रलय काल , समवर्ताग्नि ले ,
बड़वानल भी सोया आन ||
कितना भार सहे यह सिंधु ,
इसको आती नहीं थकान |
सज्जन पुरुष बस इसी तरह ,
सह कर भार करें कल्याण ||
[ 77 ]
नोट............यह बहुत अच्छा श्लोक है इस में कई पौराणिक कथाओं के उदाहरण दिए गये हैं ....डॉ. ओ.पी. व्यास
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सज्जन सागर तुल्य हैं ,
जो है बहुत महान |
बड़ी सहन सामर्थ्य है ,
बहुत बड़ा गुणगान ||
एक ओर सिंधु में सोते ,
स्वयं विष्णु भगवान |
और दूसरी ओर सो रहे ,
दैत्य बड़े बलवान ||
एक ओर गिरि गण सोते हैं ,
ख़ुद की बचाने जान |
प्रलय काल , समवर्ताग्नि ले ,
बड़वानल भी सोया आन ||
कितना भार सहे यह सिंधु ,
इसको आती नहीं थकान |
सज्जन पुरुष बस इसी तरह ,
सह कर भार करें कल्याण ||
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नोट............यह बहुत अच्छा श्लोक है इस में कई पौराणिक कथाओं के उदाहरण दिए गये हैं ....डॉ. ओ.पी. व्यास
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