शरद पूर्णिमा पर ..द्वितीय कविता
कब आएगी भगवन, शरद की यामिनी |
कि करुणा पूर्ण उर से, विश्व बंधन काटकर ||
विषम परिणाम वाली, दैव गति का स्मरण कर |
शरण मिल जाए चरणों की, मुझे कब प्राप्त हों शंकर ||
तपोवन में परम पवित्र, प्रभु जी ,जब करूंगा वास |
कब वह आएगी रजनी , हें भगवन , दीजिए आभास ||
[86/ 44 ]
काव्यानुवाद 6/ २ / 1997 गुरुवार डॉ.ओ.पी.व्यास
मूल श्लोक क्र.86/44/ वितीरणए सर्वस्वे ... भावार्थ ..
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