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7 अक्तू॰ 2017

कब वह आएगी भगवन, शरद की यामिनी -[शरद पूर्णिमा पर ..द्वितीय कविता [86/ 44]..भर्तृहरि वैराग्य शतक के भाव पर]

शरद पूर्णिमा पर ..द्वितीय कविता
कब आएगी भगवन, शरद की यामिनी |

होगी सब जगह छिटकी, वो प्यारी चांदनी ||
 कि जब सर्वस्व अपना, याचकों में बांटकर |
कि करुणा पूर्ण उर से, विश्व बंधन काटकर ||
विषम परिणाम वाली, दैव गति  का स्मरण कर |
शरण मिल जाए चरणों की, मुझे कब प्राप्त हों शंकर ||
तपोवन में परम पवित्र, प्रभु जी ,जब करूंगा वास |
 कब वह आएगी रजनी , हें भगवन , दीजिए आभास ||
                                                            [86/ 44 ]


                                    काव्यानुवाद   6/ २ / 1997   गुरुवार   डॉ.ओ.पी.व्यास
मूल श्लोक क्र.86/44/ वितीरणए  सर्वस्वे ... भावार्थ ..
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद