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20 सित॰ 2017

श्लोक क्र [ 1 ] भर्तृहरि वैराग्य शतक तृतीय काव्यानुवाद ...जटा में जिनके चन्द्र कला हैं |..डॉ.ओ.पी.व्यास

भर्तृहरि वैराग्य शतक श्लोक क्र .[ 1 ] तृतीय काव्यानुवाद
जटा में जिनके चन्द्र कला हैं |
जटा में जिनके चन्द्र कला हैं |
शलभ काम का पल में जला है ||
उर में मोह तं अगर पला है |
यदि योगी को उसने छला है ||
ज्ञान दीप ,रवि, हर निकला है |

ह्र्दय हो गया अब उजला है ||
                           डॉ.ओ.पी.व्यास 

भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद