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28 नव॰ 2016

[ 95 ] ...नमस्कार हें कर्म तुम्हें ही , बारम्बार प्रणाम है | कर्म के ऊपर वश नहीं चलता ,विधि यों ही बदनाम है ||......


भर्तृहरि नीति शतक श्लोक क्र 95
काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास
नमस्कार हें कर्म तुम्हे ही, बारम्बार प्रणाम है |
कर्म के ऊपर वश नहीं चलता, विधि यों ही बदनाम है ||
जिन देवों की भक्ति करें हम, वे सब विधि आधीन हैं |
कर्म से ही फल विधि हमको दें, वह भी नहीं स्वाधीन हैं |
फल मिलता जब कर्म के कारण, क्यों ? देवों , विधि को ध्यायें |
क्योंकि? कर्म करें हम जैंसे, वैसे ही हम फल पायें ||
इसलिए कर्म करें हम अच्छे, कर्म से राखें काम हैं |
नमस्कार हें कर्म तुम्हे ही, बारम्बार प्रणाम है ||[ 95]


भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद