भर्तृहरि नीति शतक काव्यानुवाद, [ 84 ]
नीति के निपुण करें निंदा | चाहे कर दें अनुशंषा ||
न्याय के पथ को ना त्यागें | नहीं कर्तव्यों से भागें ||
धीर वे वीर जो डट जाएँ | मुसीबत में ना घबराएं || [ 84 ]
..............काव्यानुवाद ..डॉ. ओ. पी.व्यास .........................