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26 अक्टू॰ 2016

नीति के निपुण -भर्तृहरि नीति शतक काव्यानुवाद-[ 84 ]..

भर्तृहरि नीति  शतक काव्यानुवाद, [ 84 ]

नीति के निपुण करें निंदा | चाहे कर दें अनुशंषा ||

लक्ष्मी रहे , चाहे जाए | मृत्यु अभी , कभी आए ||

न्याय के पथ को ना त्यागें | नहीं कर्तव्यों से भागें ||

धीर वे वीर जो डट जाएँ | मुसीबत में ना घबराएं || [ 84 ]

..............काव्यानुवाद ..डॉ. ओ. पी.व्यास .........................
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद