भर्तृहरि नीति शतक काव्यानुवाद
श्लोक संख्या 83
भूषण है ऐश्वर्य का, सज्जनता श्रीमान |
संयम वाक शोर्य का भूषण, शान्ति का भूषण ज्ञान ||
विनय शास्त्र की शोभा होती,धन, सुपात्र को दान |
तप की शोभा है अक्रोध में, प्रभुता क्षमा को जान ||
धर्म की शोभा रहो निष्कपट, रखो सभी का मान |
सदाचार सब गुण का भूषण, बहुत बड़ा गुण गान ||
..डॉ.ओ.पी.व्यास [ 83