[ 82 ]....
पुरुष मनस्वी कार्यार्थी ,
समझें दुःख सुख एक |
चाहे दुःख हो , चाहे सुख हो ,
भूलें राह ना नेक ||
कभी भूमि पर , कभी शैया पर ,
कर लेते विश्राम |
शाक ,पात या बढ़िया भोजन .
दे , भोजन में काम ||
कभी पहिन लें, गुदड़ी ,कथरी ,
कभी , दिव्य परिधान |
सुख में , दुःख में , भेद , करें ना ,
ऐंसे पुरुष महान ||
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पुरुष मनस्वी कार्यार्थी ,
समझें दुःख सुख एक |
चाहे दुःख हो , चाहे सुख हो ,
भूलें राह ना नेक ||
कभी भूमि पर , कभी शैया पर ,
कर लेते विश्राम |
शाक ,पात या बढ़िया भोजन .
दे , भोजन में काम ||
कभी पहिन लें, गुदड़ी ,कथरी ,
कभी , दिव्य परिधान |
सुख में , दुःख में , भेद , करें ना ,
ऐंसे पुरुष महान ||
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