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गुप्त रखें जो सदा दान को |
स्वागत रत रहते मेहमान को ||
परोपकार करके चुप रहते |
अन्य उपकार सभा में कहते ||
धन को पाकर गर्व ना करते |
परनिंदा चर्चा से डरते ||
चाहे जीवन रहे ना रहे ,
निकल जाएँ चाहे प्राण |
किसने वृत यह कठिन बताया ,
चलना धार कृपाण ||
[ 64 ]
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गुप्त रखें जो सदा दान को |
स्वागत रत रहते मेहमान को ||
परोपकार करके चुप रहते |
अन्य उपकार सभा में कहते ||
धन को पाकर गर्व ना करते |
परनिंदा चर्चा से डरते ||
चाहे जीवन रहे ना रहे ,
निकल जाएँ चाहे प्राण |
किसने वृत यह कठिन बताया ,
चलना धार कृपाण ||
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