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10 अक्तू॰ 2016

62 ...उन सज्जन को प्रणाम है मेरा उन सज्जन को प्रणाम है | जिन में रहते श्रेष्ठ सभी गुण , जो श्रेष्ठ गुणों की खान हैं ||....

उन सज्जन को प्रणाम है मेरा [62]
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उन सज्जन को प्रणाम है,
 जिन में रहते श्रेष्ठ सभी गुण,जो श्रेष्ठ गुणों की खान हैं ||
इच्छा करे संग सुजन से, प्रीति करे पराये गुण से ||
नम्र रहे जो सब गुरुजन से, विद्या में अनुराग हो |
निज पत्नी से प्रेम करे जो, लोक निंदा भय भाग हो ||
शिव में भक्ति, स्व दमन की शक्ति, दुष्ट संग परित्याग हो |
जल में रहे कमल के जैसा, कहीं ना जिसकी लाग हो ||
उन सज्जन को प्रणाम है मेरा, उन सज्जन को प्रणाम है |
जिन में रहते श्रेष्ठ सभी गुण, जो श्रेष्ठ गुणों की खान हैं ||
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद