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बहुत कठिन होता है जग में ,
यह सेवा का धर्म |
योगी जन को भी अगम्य है ,
जान सकें ना मर्म ||
बिना बात सेवक को डाटें ,
मालिक हर दम नाहक |
जैंसे किसी स्वामी का होता ,
मौन शान्ति प्रिय सेवक ||
मालिक उसे बोलता गूंगा ,
बेवकूफ़ और अहमक |
वाक पटु यदि कोई सेवक ,
कहते , करता बक बक ||
ढीठ कहें ,जो प्रति क्षण ,
सेवा को रहता हो पास |
रहे दूर ही दूर अगर , तो ,
कहें उसे बद माश ||
यदि है सेवक क्षमा शील ,
तो कहें उसे डरपोक |
यदि, ना सहन शील , तो बोलें ,
कुल विहीन , कुल शोक ||
इसीलिए है कठिन जगत में ,
सेवक बन कर रहना |
सेवा करने में तक़लीफें ,
पडतीं बहुत हैं सहना ||
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बहुत कठिन होता है जग में ,
यह सेवा का धर्म |
योगी जन को भी अगम्य है ,
जान सकें ना मर्म ||
बिना बात सेवक को डाटें ,
मालिक हर दम नाहक |
जैंसे किसी स्वामी का होता ,
मौन शान्ति प्रिय सेवक ||
मालिक उसे बोलता गूंगा ,
बेवकूफ़ और अहमक |
वाक पटु यदि कोई सेवक ,
कहते , करता बक बक ||
ढीठ कहें ,जो प्रति क्षण ,
सेवा को रहता हो पास |
रहे दूर ही दूर अगर , तो ,
कहें उसे बद माश ||
यदि है सेवक क्षमा शील ,
तो कहें उसे डरपोक |
यदि, ना सहन शील , तो बोलें ,
कुल विहीन , कुल शोक ||
इसीलिए है कठिन जगत में ,
सेवक बन कर रहना |
सेवा करने में तक़लीफें ,
पडतीं बहुत हैं सहना ||
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