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किसी धनिक के सामने ,
वृथा बनो मत दीन |
रहो धैर्य संतोष से ,
समझ दैव आधीन ||
लिखा भाग्य में विधाता ,
धन जो अधिक या अल्प |
उतना तो ,मरु में भी मिलेगा ,
मेरु नहीं विकल्प ||
कूप सिंधु में कहीं भी ,
डाल दीजिए घट |
ना तो अधिक जल भरेगा ,
ना वह जाएगा घट ||
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किसी धनिक के सामने ,
वृथा बनो मत दीन |
रहो धैर्य संतोष से ,
समझ दैव आधीन ||
लिखा भाग्य में विधाता ,
धन जो अधिक या अल्प |
उतना तो ,मरु में भी मिलेगा ,
मेरु नहीं विकल्प ||
कूप सिंधु में कहीं भी ,
डाल दीजिए घट |
ना तो अधिक जल भरेगा ,
ना वह जाएगा घट ||
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