२९ ....२
सिंह हूँ मैं , वृद्ध हूँ मैं ,
पर हूँ बहुत बलहीन |
अति कष्ट में हूँ ,क्षुधा पीड़ित हूँ ,
हूँ बहुत ही दीन ||
अब प्राण जाएँ , अब, कल ,
मरूं या आज |
पर घास तो खांऊँ नहीं ,
मुझको मिलें गजराज ||
[ नोट ..यह काव्यानुवाद द्वितीय प्रकार से किया है डॉ. ओ.पी.व्यास 21 / 9 / 2016 ]
सिंह हूँ मैं , वृद्ध हूँ मैं ,
पर हूँ बहुत बलहीन |
अति कष्ट में हूँ ,क्षुधा पीड़ित हूँ ,
हूँ बहुत ही दीन ||
अब प्राण जाएँ , अब, कल ,
मरूं या आज |
पर घास तो खांऊँ नहीं ,
मुझको मिलें गजराज ||
[ नोट ..यह काव्यानुवाद द्वितीय प्रकार से किया है डॉ. ओ.पी.व्यास 21 / 9 / 2016 ]