[ 39 ] ...
द्रव्य प्रशंसा ...
चाहे जाति रसातल जाए ,
होवे श्रेष्ठ गुणों का पात |
शिला , समान , शीलता , गिरि , से ,
भंग होय , हो जाये , निपात ||
चाहे जाए कुटुम्ब भाड़ में ,
वज्रपात हो शोर्य मिटे |
केवल धन से हमें प्रयोजन ,
अजी बिना द्रव्य जीवन ना कटे ||
भरथरी नीति शतक क्व्यनुवाद [ 39 ]
-----------------