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16 अग॰ 2016

पहिले रच्यो प्रारब्ध को पीछे रच्यो शरीर - श्री गुरु नानक देव की वाणी ....भावानुवाद ........डॉ. ओ. पी. व्यास


श्री गुरु नानक देव जी की वाणी (काव्य भावानुवाद [131]) ....
पहिले रच्यो प्रारब्ध को ,  पीछे रच्यो शरीर|
रंग हमीं को भरना है ,  रब की बनीं लकीर |
००००००००००००००००००००००००००००
फल की चिंता मत करो , कर्म को केवल करना है |
रब की सिर्फ लकीरें हैं ,  रंग हमीं को भरना है ||
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद