भर्तृहरी शतक
भावानुवाद
डॉ.ओ .पी. व्यास गुना म .प्र.
एक मिट्टी का परम लघु , पिण्ड है धरती ।
घिरा जल रेखा से, केवल ढेर है मिट्टी ॥
और उस प्रथ्वी के, केवल अंश पर अति अल्प ।
राज्य राजा गण अनेकों ,कर गए अति स्वल्प ॥
देख लो, कितने हैं निर्धन, और निर्बल नृप ।
इन से क्या मांगें ,दया से , हृदय जाता कंप ॥
हे अधम पुरुषो, अति धिक्कार, है तुमको ।
इन्हें दानी , कहना, क्यों ? स्वीकार है तुमको ॥
...डॉ .ओ .पी . व्यास
9/4/2013 मंगलवार