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25 दिस॰ 2012

बेटियाँ ...कविता

बेटियाँ... कविता ..
.डॉ.ओ.पी.व्यास गुना म.प्र....
उस घर में है बेटी ,जो प्रभु भाया है ।
भाग्यवान वे जिनने उनको पाया है ॥
प्रलय काल में जैसे मनु ने नाव को ले ,
धरती पर मानव अस्तित्व बचाया है॥
रोज़ प्रलय हो रही गौर से देखो तो ,
 बेटी ने ही घर संसार बसाया है ॥
निश्चित ही वे आदि शक्तियाँ ,देवी हैं ,
नव दुर्गा गुण गान सभी ने गाया है ॥
साक्षात ईश्वर का रूप ,झलकता है ,
ईश्वर की ही वे छाया और माया हैं ॥
जिस घर में हो जन्म बेटीओं का ,
परमात्मा ने मंदिर उसे बनाया है ॥
अंतर नहीं है आज बहू बेटीओं में ,
जिसने बेटों का संसार बसाया है ॥
उस घर में है बेटी ,जो प्रभु भाया है ।
भाग्यवान वे जिनने उनको पाया है ॥
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद