आग बुराई में लगे ,बसे खुशिओं का संसार ।
भ्रष्टाचार ,भय ,भूख और दुःख का हो बंटाढार।
जादा खाओ मत कभी ठूंस ठूंस कर भाई।
जादा खाये ठूंस कर ,उसी से प्रोब्लम आई ।।
उसी से प्रोब्लम आई ,उसी से हो गये मोटे।
पूर्ण ज़िंदगी भर कष्टों से ,रहते रोते।।
कह कवि "ओ. पी. व्यास "खाओ मत चोबीसों घंटे ।
उसी से जीवन भर भोगा करते हो टंटे।
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कलियुग मैं कल पुर्जों का देखो हुआ है करिश्मा |
कलि युग मैं जो सूरदास हैं लगा रहे वो चश्मा||
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