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23 सित॰ 2017

विषयों को हमने ना भोगा ?...डॉ.ओ.पी.व्यास

भर्तृहरि वैराग्य शतक श्लोक क्र.[7].
 काव्यानुवाद ..
[डॉ.ओ.पी.व्यास ] 
 विषयों को हम ने ना भोगा ?

विषयों को हम ने ना भोगा , 
हमें भोग विषय ने कंपा डाला |
तप को  तो हम ने तपा नहीं ,
 तप   ने   ही  हमें  तपा डाला ||
नहीं काल कभी भी खतम हुआ,
 पर काल ने हम को ही खाया|
आया न बुढापा तृष्णा का, 
पर वह तो हमारा ही आया ||
                                                              12 /9 /1996
 [ 295 ] श्लोक कर. ..[ 7 ] भर्तृहरि वैराग्य शतक ...काव्यानुवाद ...... विषयों को हमने ना भोग ?...डॉ.ओ.पी.व्यास 
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श्लोक क्र [ 7] 
...भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
मूल श्लोक ...
भोगा न भुक्ता वय मेव  भुक्ताः
तपो न तप्तं वयमेव तप्ता |
कालो न यातो वयमेव याताः
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ||
भावार्थ ...
हमारे द्वारा विषयों का भोग नहीं हुआ , वल्कि हम ही विषयों के द्वारा भोगे गये , व्रत , उपासना आदि तप हमसे नहीं हुए , वल्कि हम ही त्रिविध तापों से तप्त हो गये , काल नहीं बीता , वल्कि हम ही बीत गये , विषयों की कामना बूढ़ी नहीं हुई , वल्कि हम ही जरा - जीर्ण हो गये |
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भृतहरि नीति शतक का काव्यानुवाद