[डॉ.ओ.पी.व्यास ]
हमें भोग विषय ने कंपा डाला |
तप को तो हम ने तपा नहीं ,
तप ने ही हमें तपा डाला ||
नहीं काल कभी भी खतम हुआ,
पर काल ने हम को ही खाया|
आया न बुढापा तृष्णा का,
पर वह तो हमारा ही आया ||
12 /9 /1996
[ 295 ] श्लोक कर. ..[ 7 ] भर्तृहरि वैराग्य शतक ...काव्यानुवाद ...... विषयों को हमने ना भोग ?...डॉ.ओ.पी.व्यास
.............................................................................................[ 295 ] श्लोक कर. ..[ 7 ] भर्तृहरि वैराग्य शतक ...काव्यानुवाद ...... विषयों को हमने ना भोग ?...डॉ.ओ.पी.व्यास
श्लोक क्र [ 7]
...भर्तृहरि वैराग्य शतक ..
मूल श्लोक ...
भोगा न भुक्ता वय मेव भुक्ताः
तपो न तप्तं वयमेव तप्ता |
कालो न यातो वयमेव याताः
तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ||
भावार्थ ...
हमारे द्वारा विषयों का भोग नहीं हुआ , वल्कि हम ही विषयों के द्वारा भोगे गये , व्रत , उपासना आदि तप हमसे नहीं हुए , वल्कि हम ही त्रिविध तापों से तप्त हो गये , काल नहीं बीता , वल्कि हम ही बीत गये , विषयों की कामना बूढ़ी नहीं हुई , वल्कि हम ही जरा - जीर्ण हो गये |..............................................................................................................................................................