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भर्तृहरि नीति शतक काव्यानुवाद ...डॉ.ओ.पी.व्यास
ब्रह्मा जी है आपकी कैसी? पण्डित बुद्धि |
करते नहीं हो क्यों कर? उसकी श्रीमन शुद्धि ||
पुरुष रत्न भू पर रचे, भू पर, भूषण रूप|
गुणाकार, सुंदर, बली एक से एक अनूप ||
लेकिन क्षण भंगुर किए, वाह ब्रह्म भगवान|
क्या? ब्रह्मा अल्पज्ञ हो, बात लीजिए मान| 93
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