[ 74 ] ................
सूर्य खिला देता कमलों को ,
अनुनय विनय की बात नहीं |
शशि भी करे कुमुदनी विकसित ,
बिन इसके कोई रात नहीं ||
मेघ विनय के बिना ही बरसें ,
अहंकार मन लात नहीं |
परोपकार रत सदा सत पुरुष ,
विनय से दें यह भात नहीं ||
[ 74 ]
...........अर्थ ..शशि [ चन्द्रमा ] ,कुमुदनी [ कमल की प्रजाति जो रात में खिलती है |........................ ...........................................................................
सूर्य खिला देता कमलों को ,
अनुनय विनय की बात नहीं |
शशि भी करे कुमुदनी विकसित ,
बिन इसके कोई रात नहीं ||
मेघ विनय के बिना ही बरसें ,
अहंकार मन लात नहीं |
परोपकार रत सदा सत पुरुष ,
विनय से दें यह भात नहीं ||
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...........अर्थ ..शशि [ चन्द्रमा ] ,कुमुदनी [ कमल की प्रजाति जो रात में खिलती है |........................ ...........................................................................