दुर्जन स्वभाव के जो रहते, गुण हीन सज्जनों को कहते ||
गुणिओं में दिखते दोष उन्हें, सज्जनता से मतलब ना जिन्हें ||
हर जगह दोष ही दोष दिखें, वे गुणवानों में अवगुण परखें ||
वृत वालों को बोलें दम्भी, लज्जा शीलों को जड़ बुद्धि |
पवित्र चित्त जिनके रहते, उन सबको यह कपटी कहते ||
होते जो तेजवान व्यक्ति, उन्हें कहें घमण्डी और खब्ती ||
वक्ता को बोलें बकता है, पागल है बक बक करता है ||
कर लिया चित्त जिनने स्थिर, ये कहते उन्हें आलसी नर ||
मृदुभाषी और मधुर व्यक्ति, कर सकते उनकी नहीं तृप्ति ||
दुर्जन उनसे इतना चिढ़ते , उन्हें दीन हीन निर्धन कहते ||
कहें भर्तृहरि सुनो ''व्यास '', दुर्जन के जाओ नहीं पास ||
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